कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या को लेकर हाईकोर्ट में एक सिविल रिट याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि 20 अगस्त को तीन मंत्रियों के शपथ लेने के बाद कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या संविधान की तय सीमा से ज्यादा है और यह संविधान का उल्लंघन है. हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह करेगी.
संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल संख्या की 15% से ज्यादा नहीं हो सकती. अगर ऐसा होता है तो इसे संविधान का उल्लंघन माना जाता है. छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 विधायक हैं. देखा जाए तो 90 विधायकों का 15% 13.50 हुआ, जिसका मतलब है कि छत्तीसगढ़ कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या 13 से ज्यादा नहीं हो सकती. लेकिन हाल ही में तीन मंत्रियों के शपथ लेने के बाद कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या 14 हो गई है. इसी वजह से कांग्रेस का आरोप है कि यह संविधान का उल्लंघन है.
राज्यपाल से एक मंत्री हटाने का किया अनुरोध
विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने 22 अगस्त को राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि कैबिनेट से एक मंत्री को हटाया जाए. पत्र में कहा गया था कि 90 का 15% 13.50 होता है, यानी मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या 13.50 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कैबिनेट में मौजूदा संख्या 14 है, जो 13.50 से ज्यादा है.
भूपेश बघेल ने सीएम पर लगाया आरोप
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि सीएम विष्णु देव साय और राज्यपाल डेका दोनों लोगों ने संविधान के खिलाफ जाकर काम किया है. बीजेपी पर आरोप लगाते हुए बघेल कहते हैं कि 2019 में जब हम विधानसभा में विधेयक लेकर आए थे, जिसमें था कि इतने बड़े राज्य में मंत्रियों की सीमा 20% तक बढ़ाई जाए, उन्होंने कहा कि लेकिन बीजेपी विधायकों ने इसका समर्थन नहीं किया और न ही केंद्र सरकार ने इसपर कोई जवाब दिया. बघेल ने कहा कि मुझे खुशी है कि अब हमारे कैबिनेट में 14 मंत्री हैं, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि क्या केंद्र सरकार ने उन्हें अनुमति दी है और क्या इसके लिए कोई सरकारी गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया है? उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो मैं इसका समर्थन करता हूं, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो सीएम और राज्य ने संविधान के खिलाफ जाकर निर्णय लिया है.
डिप्टी सीएम ने दी प्रतिक्रिया
डिप्टी सीएम अरुण साव ने कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार ने इस निर्णय को लेते हुए उचित संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया है. उन्होंने कहा कि हमारे सामने हरियाणा का उदाहरण है. साव ने कहा कि हम संविधान का पालन करते हैं, लेकिन जिनका हमेशा से संविधान को तोड़ने-मरोड़ने का इतिहास रहा है, उन्हें हम पर ऐसे आरोप लगाना शोभा नहीं देता.